विरेचन कर्म की कार्मुकता (Mode of action of VIRECHAN KARMA)

आयुर्वेद मतानुसार:- विरेचक औषधि (उष्ण, तीक्ष्ण,सूक्ष्म, व्यावायी,विकाशी ) स्व वीर्य से हृदय में प्रवेश धमनियों में प्रवेश (हृदय आश्रित) स्थूल तथा अणु स्रोत में प्रवेश सम्पूर्ण शरीर में व्याप्त दोष संघात का विच्छिन्न करना अणुप्रवण भाव से द्रव्य का आमाशय में प्रवेश जल व पृथ्वी महाभूत की प्रधानता के कारण Read more…

वमन की कार्मुकता(mode of action of Vamana)

आयुर्वेद मतानुसार:- वामक औषध (उष्ण, तीक्ष्ण, सूक्ष्म, व्यवायि, विकासी गुण युक्त) स्ववीर्य से हृदय में प्रवेश धमनियों का अनुसरण स्थूल तथा अणु स्रोतों में प्रवेश सम्पूर्ण शरीर के दोष समूह पर क्रिया अणु प्रवण भाव से औषध का आमाशय में प्रवेश अग्नि और वायु की प्रधानता के कारण दोषों की Read more…