Charak Samhita – Sutrasthan 18

13. मृदुदारुणभेदेन ते भवन्ति __________

Answer
चतुर्विधा

विकारनामाकुशलो न जिह्रीयात् कदाचन ।
न हि सर्वविकाराणां नामतोऽस्ति ध्रुवा स्थितिः ।। [Ref. च. सू. 18]

14. _______ वातपित्तकफस्त्रयः ।

Answer
नित्याः प्राणभृतां देहे

15. प्राकृत दोषों के कर्म :
I. वात –

Answer
समो मोक्षो गतिमतां

II. पित्त –
Answer
देहमार्दवम्,
प्रभा प्रसादो मेधा

III. कफ –
Answer
क्षमा धृतिरलोभश्च

16. क्षीण दोषों के लक्षण :

Answer
कर्मणः प्राकृताद्धानिर्वृद्धिर्वाऽपि विरोधिनाम् ।
(दोषों के स्वाभाविक कार्यों में न्यूनता तथा विरोधी कार्यों की अधिकता होना)

17. त्रिविध बोध्यसंग्रह –

Answer
रोग की प्रकृति, अधिष्ठान और समुत्थान

18. त्रिविध ज्ञान संग्रह –

Answer
प्रत्यक्ष, अनुमान, आप्तोपदेश

19. वीतमोहरजोदोषलोभमानमदस्पृहः किसके लिए कहा है ?

Answer
पुनर्वसु आत्रेय