13. मृदुदारुणभेदेन ते भवन्ति __________
विकारनामाकुशलो न जिह्रीयात् कदाचन ।
न हि सर्वविकाराणां नामतोऽस्ति ध्रुवा स्थितिः ।। [Ref. च. सू. 18]
14. _______ वातपित्तकफस्त्रयः ।
15. प्राकृत दोषों के कर्म :
I. वात –
II. पित्त –
III. कफ –
16. क्षीण दोषों के लक्षण :
17. त्रिविध बोध्यसंग्रह –
18. त्रिविध ज्ञान संग्रह –
19. वीतमोहरजोदोषलोभमानमदस्पृहः किसके लिए कहा है ?