Charak Samhita Sutrasthan topicwise recorded classes

Chapter 1 – दीर्घञ्जीवितीयध्याय Important topic covered Course Price Joining Link 1. अध्याय प्रवेश, चतुष्क, आयुर्वेदावतरण, भरद्वाज का इन्द्र के यहां गमन, इन्द्र के पर्याय, प्रथम सम्भाषा परिषद्, त्रिसूत्र आयुर्वेद Rs. 1 Click here 2. षट् पदार्थ वर्णन – अग्निवेशादि छः शिष्य, अष्ट ज्ञान देवता, आयुर्वेद की परिभाषा, आयु के Read more…

Charak Samhita Recorded Classes

चरक संहिता – सूत्रस्थान Chapter Name Course Price Joining Link 1. दीर्घञ्जीवितीयध्याय Rs. 3 Click here चरक संहिता – चिकित्सास्थान Chapter Name Course Price Joining Link 1. रसायनाध्याय Rs. 3 Click here Note :- Course price includes all the classes of particular chapter. Once you purchase the course all the Read more…

भरद्वाज की नियुक्ति तथा इन्द्र से वार्ता, त्रिसूत्र आयुर्वेद का स्वरूप

रोग का धर्मादि प्राप्ति में बाधकत्व धर्मार्थकाममोक्षाणामारोग्यं मूलमुत्तमम् ॥१५॥ रोगास्तस्यापहर्तारः श्रेयसो जीवितस्य च । प्रादुर्भूतो मनुष्याणामन्तरायो महानयम् ॥१६॥ कः स्यात्तेषां शमोपाय इत्युक्त्वा ध्यानमास्थिताः । अथ ते शरणं शक्रं दद्दशुर्ध्यानचक्षुषा ॥१७॥ स वक्ष्यति शमोपायं यथावदमरप्रभुः । आरोग्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चतुर्विध पुरुषार्थ का उत्तम (प्रधान) मूल है । रोग Read more…

दीर्घञ्जीवितीय अध्याय – विषय प्रवेश, भरद्वाज का इन्द्र के यहाँ गमन, आयुर्वेद के पठन-पाठन की परम्परा, महर्षियों के एकत्र होने का कारण, महर्षियों की गणना

मनुष्य के जीवन काल में 3 एषणाएँ (इच्छाएँ) होती हैं – प्राण-एषणा धन-एषणा परलोक-एषणा मनुष्य की आयु – सतयुग – 400 वर्ष त्रेतायुग – 300 वर्ष द्वापरयुग – 200 वर्ष कलयुग – 100 वर्ष अनुबन्ध चतुष्ट्य – अभिधय प्रयोजन सम्बन्ध अधिकारी सूत्रस्थान में चार प्रकार के सूत्रों का निर्देश किया Read more…

अश्रु वेगरोधज रोग- चिकित्सा, छर्दि वेग रोधज रोग -चिकित्सा, शुक्र के वेग को रोकने के कारण उत्पन्न रोग-चिकित्सा, वेगरोधी के असाध्य लक्षण, सामान्य चिकित्सा

अश्रु का वेग रोकने से होने वाले रोग तथा चिकित्सा पीनसाक्षिशिरोहृद्रुङ्मन्यास्तम्भारुचिभ्रमाः । सगुल्मा बाष्पतस्तत्र स्वप्नो मद्यं प्रियाः कथाः।।6।। अश्रु का वेग रोकने से पीनस (प्रतिश्याय – नासास्राव), अक्षिरोग, शिरोरोग, हृद्रोग, मन्यास्तम्भ (Torticollis), अरुचि, भ्रम तथा गुल्म होता है। इसमें शयन, मद्यपान तथा प्रिय कहानियों का श्रवण करना चाहिए।  छर्दि  का Read more…

उद्गार वेग रोधज रोग-चिकित्सा, छींक के वेग को रोकने से हानि, हिक्का वेग रोधज रोग-चिकित्सा, तृषा वेग रोधज रोग-चिकित्सा, क्षुधा वेग रोधज रोग-चिकित्सा, निद्रा वेग रोधज रोग-चिकित्सा, कास वेग रोधज रोग-चिकित्सा, श्रमश्व स वेग रोधज रोग-चिकित्सा, जृम्भा वेगरोधज रोग-चिकित्सा

उदगारवेगरोध जन्य रोग तथा उसकी चिकित्सा — धारणात् पुनः ॥7॥उद्गारस्यारुचिः कम्पो विबन्धो हृदयोरसोः । आध्मानकासहिध्माश्च  हिध्मावत्तत्र भेषजम् ॥8॥ उद्गार (डकार) का वेग रोकने से अरुचि (भोजन में अनिच्छा/Anorexia) कम्प (अज्ञों का कांपना Tremor), हृदय एवं वक्ष में जकड़ाहट, आध्मान (Flatulance), कास तथा हिक्का (hiccough) होती है। इसमें हिक्का रोग के Read more…

वेगों को रोकने का निषेध, अपान वायु को रोकने से हानि, मल वेग रोधज रोग,मूत्र वेग रोधज रोग, वेगरोधज रोगो की चिकित्सा

4. रोगानुत्पादनीय अध्याय जिस प्रकार का आचरण (आहार-विहार आदि) करने से रोगों की उत्पत्ति न हो अथवा जिस अध्याय में कहे जाने वाला विषय रोगों की उत्पत्ति को रोकने के लिए हितकारक है। वेगों को रोकने का निषेध वेगान्न धारयेद्वातविण्मूत्रक्षवतृटक्षुधाम् ।निद्राकासश्रमश्वासजृम्भाश्रुच्छर्दिरेतसाम् ॥1॥ वात (अधोवात/Flatus, विट् (पुरीष/Defecation), मूत्र (Micturition), क्षव (छींक/Sneezing), Read more…