सूत्रस्थान

Short notes of sutra sthana/Charaka samhita

Charak Samhita – Sutrasthan 13

1. निम्न श्लोक को पूर्ण कीजिए –_____________ सहासीनं पुनर्वसुम् । 2. निकोचक कौनसी स्नेह योनि में सम्मिलित है – 3. स्नेहाध्याय में कुल प्रश्नों की संख्या – _______ 4. सर्वेषां तैलजातानां ___A___ विशिष्यते। बलार्थे स्नेहने चाग्रयम् ___B___ तु विरेचने॥ 5. स्नेह के चार भेद हैं – “घृत, तैल, वसा, मज्जा”गुरुता का क्रम – ___A___वातकफ शामकता […]

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Charak Samhita – Sutrasthan 01

1. भरद्वाज ऋषि के अन्य नाम – _________ 2. इन्द्र के कोई 5 पर्याय बताइए – __________ 3. आयुर्वेदावतरण के संदर्भ में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –ब्रह्मा – ___A___ – अश्विनी कुमार – शतक्रतु ___B___ – आत्रेय पुनर्वसु – अग्निवेश, भेल, ___C___, जतुकर्ण, पाराशर, हारीत 4. धर्मार्थकामोक्षणाम् _________ मूलमुत्तमम्। 5. रोगास्तस्यापहर्तारः _______ जीवितस्य च

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Charak Samhita – Introduction

चरक संहिता – परिचय 1. चरक संहिता के मूल उपदेष्टा हैं _________ । 2. चरक संहिता के तंत्रकर्ता हैं _________। 3. चरक संहिता के प्रतिसंस्कर्ता हैं __________। 4. चरक संहिता के द्वितीय प्रतिसंस्कर्ता या पूरक हैं __________। 5. दृढ़बल द्वारा पूरित अध्यायों की कुल संख्या ______ है, जिसमें चिकित्सा स्थान के ______ अध्याय, कल्पस्थान के

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Charak Samhita Sutrasthan topicwise recorded classes

Chapter 1 – दीर्घञ्जीवितीयध्याय Important topic covered Course Price Joining Link 1. अध्याय प्रवेश, चतुष्क, आयुर्वेदावतरण, भरद्वाज का इन्द्र के यहां गमन, इन्द्र के पर्याय, प्रथम सम्भाषा परिषद्, त्रिसूत्र आयुर्वेद Rs. 1 Click here 2. षट् पदार्थ वर्णन – अग्निवेशादि छः शिष्य, अष्ट ज्ञान देवता, आयुर्वेद की परिभाषा, आयु के लक्षण Rs. 1 Click here

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भरद्वाज की नियुक्ति तथा इन्द्र से वार्ता, त्रिसूत्र आयुर्वेद का स्वरूप

रोग का धर्मादि प्राप्ति में बाधकत्व धर्मार्थकाममोक्षाणामारोग्यं मूलमुत्तमम् ॥१५॥ रोगास्तस्यापहर्तारः श्रेयसो जीवितस्य च । प्रादुर्भूतो मनुष्याणामन्तरायो महानयम् ॥१६॥ कः स्यात्तेषां शमोपाय इत्युक्त्वा ध्यानमास्थिताः । अथ ते शरणं शक्रं दद्दशुर्ध्यानचक्षुषा ॥१७॥ स वक्ष्यति शमोपायं यथावदमरप्रभुः । आरोग्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चतुर्विध पुरुषार्थ का उत्तम (प्रधान) मूल है । रोग उसी कल्याणकारी और मूलस्वरूप आरोग्य

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दीर्घञ्जीवितीय अध्याय – विषय प्रवेश, भरद्वाज का इन्द्र के यहाँ गमन, आयुर्वेद के पठन-पाठन की परम्परा, महर्षियों के एकत्र होने का कारण, महर्षियों की गणना

मनुष्य के जीवन काल में 3 एषणाएँ (इच्छाएँ) होती हैं – प्राण-एषणा धन-एषणा परलोक-एषणा मनुष्य की आयु – सतयुग – 400 वर्ष त्रेतायुग – 300 वर्ष द्वापरयुग – 200 वर्ष कलयुग – 100 वर्ष अनुबन्ध चतुष्ट्य – अभिधय प्रयोजन सम्बन्ध अधिकारी सूत्रस्थान में चार प्रकार के सूत्रों का निर्देश किया गया है – गुरुसूत्र –

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Charak Samhita 1 – Dravya – Guna – Karma aur Samvaya

    द्रव्य – गुण – कर्म और समवाय का वर्णन I. द्रव्य वर्णन (Description of Dravya):-              “खादीन्यात्मा मनः कालो दिशश्च द्रव्यसंग्रहः । सेन्द्रियं चेतनं द्रव्यं , निरिन्द्रियमचेतनम् ।” आकाश आदि ( आकाश , वायु , अग्नि , जल और पृथ्वी ) पञ्चमहाभूत द्रव्य तथा आत्मा , मन ,

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Charak Samhita – Moolini evum Phalini dravya

                                    द्रव्यों का वर्गीकरण :- मुलिन्यः षोडशैकोना फलिन्यो विंशतिः स्मृताः ।। महास्नेहाश्च चत्वारः पञ्चैव लवणानि च । अष्टौ मूत्राणि संख्यातान्यष्टावेव पयांसि च ॥ शोधनाश्च षड् वृक्षाः पुनर्वसुनिदर्शिताः । य एतान् वेत्ति संयोक्तुं विकारेषु स वेदवित् ॥ मूलिनी (जिनकी

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