तृष्णा रोग ( Polydypsia )
तृष्णा रोगगत तथा पित्त दोष की दुष्टिजनित मानी गई है क्योकि वात का शोषण गुण तथा पित्त का अग्निप्रधान गुण होने से ये दोष तृष्णा की उत्पत्ति में सहायक है। कुछ व्याधियों में तृष्णा लक्षण या उपद्रव के रूप में प्रकट होती है तथा रसजज्वर, रक्तज ज्वर, मान्सज ज्वर मेदज ज्वर, पित्तोदर, प्लीहोदर, बद्धोदर, जलोदर, …