आमवात – सन्धिवात – वातरक्त का सापेक्ष निदान

आमवात सन्धिवात वातरक्त 1. प्रायः बड़ी सन्धियों में (मुख्यतः मणिबन्ध) (wrist joint) प्रायः बड़ी सन्धियों में (मुख्यतः घुटने, कमर) in weight bearing joints प्रायः छोटी सन्धियों में (मुख्यतः पाद-अंगुष्ठ मूल) 2. वृश्चिकदंशवत् शूल सन्धि शूल मूषकदंशवत् शूल 3. शोथ रोग (Inflammatory Joint disease) अस्थि-सन्धि क्षयजन्य रोग (Degenerative Joint disease) चयापचय Read more…

आमवात

आम :- “जठरानलदौर्बल्यात् अविपक्वस्तु यो रसः । स आमसंज्ञको देहे सर्व दोषप्रकोपणः ।।” (मधुकोश) उदर की अग्नि की दुर्बलता से जो अविपक्व रस बनता है, उसे आम कहते है। यह शरीर में सभी दोषों को प्रकुपित करता है। “आमेन सहितः वातः आमवातः ।” आम वायु के साथ मिलकर पूरे शरीर Read more…

Importance of Kriyakala in Chikitsa

चिकित्सा की योजना में क्रियाकाल का महत्व क्रिया = चिकित्साकाल = उचित समय सामान्य शब्दों में चिकित्सा का जो उचित समय है, उसे ही क्रियाकाल कहते हैं। अन्य शब्दों में विषम (कुपित) दोष जिस क्रम से रोग उत्पन्न करते हैं, उन्हें ही क्रियाकाल कहते हैं। क्रियाकाल का महत्व : क्रियाकाल Read more…