Rog Nidan

ज्वर के लक्षण (Symptoms of Fever)

ज्वर के लक्षण (Symptoms of Fever) [su_heading] आत्मलक्षण/प्रत्यात्म लक्षण-[/su_heading]   ज्वर प्रत्यात्मिकं लिङ्गं संतापो देहमानस:।। (च.चि. ३/३१) आचार्य चरक मतानुसार शरीर तथा मन में संताप होना ही ज्वर का आत्मलक्षण है। (fever) [su_heading]ज्वर का सामान्य लक्षण-[/su_heading] सामान्यतो विशेषात्तु जृम्भाऽत्यर्थ समीरणात्। पित्तात्रयनोर्दाह: कफादनारूचिर्भवेत्।। रूपैरन्यराभ्यां तु संसृष्टैर्द्वन्द्वजं विदुः। सर्वलिङ्गसमवाय: सर्वदोष प्रकोपजे।।                […]

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ज्वर रोग (Fever)

[su_heading]व्याधि परिचय[/su_heading] आयुर्वेद के आचार्यों ने ज्वर को सबसे महत्त्वपूर्ण तथा प्रधान व्याधि माना है। ज्वर के प्रधान होने का एक मुख्य कारण यह भी है कि सभी प्राणियों में ज्वर जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त तक कभी न कभी अवश्य उत्पन्न होता है। यह एक स्वतन्त्र व्याधि है तथा कई व्याधियों के लक्षण के रूप

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तृष्णा रोग ( Polydypsia )

तृष्णा रोगगत तथा पित्त दोष की दुष्टिजनित मानी गई है क्योकि वात का शोषण गुण तथा पित्त का अग्निप्रधान गुण होने से ये दोष तृष्णा की उत्पत्ति में सहायक है। कुछ व्याधियों में तृष्णा लक्षण या उपद्रव के रूप में प्रकट होती है तथा रसजज्वर, रक्तज ज्वर, मान्सज ज्वर मेदज ज्वर, पित्तोदर, प्लीहोदर, बद्धोदर, जलोदर,

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श्वास रोग || Dyspnoea, Asthma

  [su_heading size=”18″]व्याधि परिचय[/su_heading] आचार्य चरक ने हिक्का तथा श्वास रोग में दोष, दूष्य तथा स्रोतस की समानता होने के कारण दोनों व्याधियों का एक साथ वर्णन किया है। आचार्य चरक मतानुसार यह गम्भीर प्राणनाशक व्याधि हैं।      यथा श्वासश्च हिक्का च प्राणनाशुनिकृन्ततः ।। (च. चि. 17/6)   आचार्य चरक ने इस व्याधि को

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हिक्का रोग (Hiccough)

हिक्का वात कफ़ज तथा आमाशय समुत्थ व्याधि है। [su_heading]निदान[/su_heading] 1. विदाही द्रव्यों का अतिसेवन 2. गुरू, विष्टम्भी, रूक्ष तथा अभिष्यन्दी भोजन का अतिसेवन 3. अत्यधिक शीतल जलादि पेय पदार्थों का सेवन 4. अतिशीतल भोजन तथा शीतस्थान 5. रज, धूम, तेज हवा तथा अग्नि का सेवन 6. अति व्यायाम 7. साहस से अधिक कार्य करना 8.

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