astang hariday

छः ऋतुएँ, उतरायण – आदान काल (अग्रिगुण प्रधान), आदान काल, विसर्ग काल-परिचय, बल का चयापचय

छः ऋतुएँ मासैर्द्विसङ्ख्यैर्माघाद्यैः क्रमात् षडृतवः स्मृताः । शिशिरोऽथ वसन्तश्च ग्रीष्मो वर्षाः शरद्धिमाः ।।1।।          माघ-फाल्गुन आदि दो-दो महीनों से क्रमशः छः ऋतुएँ होती है। माघ-फाल्गुन : शिशिर ऋतु चैत्र-वैशाख : वसन्त ऋतु ज्येष्ठ-आषाढ़ : ग्रीष्म ऋतु श्रावण-भाद्रपद : वर्षा ऋतु आश्विन-कार्तिक : शरद ऋतु एवं मार्गशीर्ष-पौष : हेमन्त ऋतु । आदान काल – उतरायण  शिशिराद्यास्त्रिभिस्तैस्तु विद्यादयनमुत्तरम् ।  आदानं  च तदादत्ते …

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अञ्जन का प्रयोग, रसाञ्जन प्रयोग विधि,नस्य आदि सेवन निर्देश

अञ्जन प्रयोग सौवीरमञ्जनं   नित्यं  हितमक्ष्णोस्ततो भजेत्। मुखशुद्धि करने के बाद सौवीर अञ्जन का प्रयोग प्रतिदिन करना चाहिए। यह आँखों के लिए हितकर होता है। अञ्जन से नेत्र सुन्दर तथा सूक्ष्म पदार्थों को देखने  योग्य हो जाते हैं। स्वस्थ आँखों में प्रतिदिन लगाने वाले अञ्जन को प्रत्यञ्जन कहते हैं। रसाञ्जन – प्रयोग विधि चक्षुस्तेजोमयं  तस्य  विशेषात्‌ …

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दिनचर्या,ब्रह्मा मुहूर्त, दतवन का विधान, दतवन कि विधि, दतवन का निषेध

दिनचर्या  अथातो  दिनचर्याध्यायं  व्याख्यास्यामः ।    दिनचर्या  –  ‘प्रतिदिनं कर्त्तव्या चर्या दिनचर्या’  प्रतिदिन करने योग्य चर्या  दिनचर्या है । ब्राह्ममुहूर्त  में जागरण ब्राह्मेमुहूर्त   उत्तिष्ठेत्   स्वस्थो  रक्षार्थमायुषः। स्वस्थ (निरोग) मनुष्य आयु (जीवन) की रक्षा के लिए ब्राह्ममुहूर्त में उठे। चार घड़ी रात्रि शेष रहने (प्रात:काल 4-6 बजे) का नाम ‘ब्राह्ममुहूर्त’ होता है । दन्तधावन शरीरचिन्तां निर्वर्त्य कृतशौचविधिस्ततः ॥१॥ …

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Padarth Vigyan – Darshan – Introduction

                                1. दार्शनिक पृष्ठभूमि This post contains the brief description about the first chapter of Padarth vigyan that is Darshan. Darashan are of two type :- Astika Darshan Further divided into six types :- वेदान्त दर्शन सांख्य दर्शन वैशेषिक दर्शन …

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