उद्वर्तन, उद्वर्तन के गुण, स्नान के गुण, उष्ण-शीत जल का प्रयोग, स्नान का निषेध
उद्वर्तन/उबटन के गुण उद्वर्तन कफहरे मेदसः प्रविलायनम् ॥ स्थिरीकरणामङ्गानां त्वक्प्रसादकरं परम् ॥15॥ व्यायाम के पश्चात् कफहर (कषाय-तिक्त) द्रव्यों से उद्वर्तन (उबटन) करना चाहिए। उद्वर्तन मेदोधातु का विलयन, अंग-प्रत्यंग को स्थिर (दृढ़) तथा त्वचा को कर कान्तियुक्त करता है। जौ या चने के आटे में तेल और हल्दी मिलाकर शरीर पर मसलने को उद्वर्तन, उत्सादन या […]
उद्वर्तन, उद्वर्तन के गुण, स्नान के गुण, उष्ण-शीत जल का प्रयोग, स्नान का निषेध Read More »
