भोजन आदि कर्तव्य, सुख का साधन धर्म, मित्र–अमित्र सेवन विचार, पापकर्मों का त्याग
भोजन आदि कर्तव्य जीर्णे हितं मितं चाद्यान्न वेगानीरयेद्वलात् ।न वेगितोऽन्यकार्यः स्यान्नाजित्वा साध्यमामयम् ॥ स्नान करने के पश्चात् पहले किये हुए आहार के सम्यक परिपाक हो जाने पर (हितं) पथ्य एवं (मितं) मात्रानुसार आहार लेना चाहिए। मल-मूत्र के वेग को बलपूर्वक निकालने के लिये प्रेरित नहीं करना चाहिए। मल-मूत्र का वेग मालूम पड़ने पर उन्हें रोककर […]
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