परिभाषा एवं द्रव्य वर्ग प्रकरण – 1

परिभाषा लक्षण : – निगूढानुक्तलेशोक्तसंदिग्धार्थ प्रदीपिका । सुनिश्चितार्था विबुधैः परिभाषा निगद्यते।। जिन संक्षिप्त और सांकेतिक शब्दों द्वारा शास्त्र के गुप्त, अप्रकट, किंचित् प्रकट तथा संदिग्ध अर्थ का स्पष्ट और निश्चित अर्थ प्राप्त हो, उसे परिभाषा कहते है । गूढ, सांकेतिक, गंभीर शब्दों का स्पष्ट ज्ञान परिभाषा से ही होता है। Read more…

Rasa Shastra – Parad ke dosh

              शुद्ध पारद सर्वव्याधिनाशक, जरावस्थानाशक एवं मृत्यु का निवारण करता है, किन्तु अशुद्ध पारद भयंकर दोष करने वाला विष होता है। पारद में कुल 12 दोष होते है । (1) नैसर्गिक दोष : – नैसर्गिक दोष विष, वह्नि और मल तीन होते है । Read more…

पारद के प्रमुख पाँच पर्याय || Five important synonyms of Parad

  Five important synonyms of Parad 1. रस :- रसनात् सर्वधातूनां रस इत्यभिधीयते । जरारुङ्मृत्युनाशाय रस्यते वा रसो मतः ।। स्वर्णादि सभी धातुओं एवं अभ्रकादि महारसों को भक्षण करके सभी धातुओं आदि की शक्ति स्वयं में लेने के कारण ही इसे रस कहते हैं । जरा, रोग, मृत्यु आदि को Read more…

Rasa Shastra – Dravya varga prakaran – 1

अम्लवर्ग : – जम्बीरी नींबू, कागजी नींबू, अम्लवेतस, इमली, नारंगी, अनार, वृक्षाम्ल, बिजौरा नींबू, चांगेरी, चणकाम्ल, खट्टाबेर, करौदा, चूका इन सभी को अम्लवर्ग के अन्तर्गत माना गया है । मर्दन एवं भावना आदि के लिए इनका स्वरस या क्वाथ लिया जाता है । अम्लपञ्चक : – अम्लवेतस, जम्बीरी नींबू, मातुलुङ्ग Read more…

Rasa Shastra – Parad – Sapt kanchuk dosha

कञ्चुक के समान पतले आवरण सी परत पारद की ऊपरी सतह पर आ जाने को कञ्चुक नाम दिया है । कञ्चुक दोष सात होते हैं । (1) पर्पटी (2) पाटनी (3) भेदी (4) द्रावी (5) मलकरी (6) अन्धकारी (7) ध्वाङ्क्षी सप्तकञ्चुकदोष का शरीर पर प्रभाव : (1) पर्पटी शरीर की Read more…

Rasa Shastra – Pribhasa evum dravya prakaran – 2

                                                    द्रुति  :- औषधाध्मानयोगेन लोहधात्वादिकं तथा । सन्तिष्ठते द्रवाकारं सा द्रुतिः परिकीर्तिताः । । विशिष्ट औषधियों के संयोग तथा तीव्रधमन के योग से स्वर्णादि धातु Read more…

Rasa Shastra – Pribhasha evum dravya varga prakaran – 3

अमृतीकरण : – लोहादीनां मृतानां वै शिष्टदोषापनुत्तये। क्रियते यस्तु संस्कार अमृतीकरणं मतम् । । धातुओं आदि की भस्म करने के पश्चात् भी उसमें शेष रहे हुए दोषों को दूर करने वाले संस्कार को अमृतीकरण कहते है । अमृतीकरण से गुण की वृद्धि तथा वर्ण की हानि होती है । लोहितीकरण Read more…

पारद || पारद के अष्टविध संस्कार || Parad ke astvidh sanskaar || Rasashastra

पारद के अष्टविध संस्कार : स्वेदनं मर्दनं चैव मूर्च्छनोत्थापने तथा । पातनं बोधनं चैव नियामनमतः परम् ।। दीपनञ्चेति संस्काराः सूत्स्याष्टौ प्रकीर्तिताः ।। 1. स्वेदन 2. मर्दन 3. मूर्च्छन 4. उत्थापन 5. पातन 6. रोधन 7. नियामन 8. दीपन प्रथम पांच संस्कारों से पारद सर्वदोषमुक्त हो जाता है, शेष तीन संस्कारो Read more…