BAMS 1st year

Definition and branches of ANATOMY

This topic deals with the definition and branches of anatomy available. Definition ana – continuous tomy – cutting Continuous cutting is called anatomy . Anatomy is the study of structure and relationship among structures . Anatomy was first studied through dissection of cadavers so it is called cadaveric anatomy. Cadaveric anatomy Living anatomy Surface anatomy …

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वैशेषिक दर्शन

मुख्य उपपाद्य विषय :- उन पदार्थों का विवेचन करना, जिनके मध्य जीवन पनपता-फूलता है। इसके प्रवर्तक – महर्षि कणाद या उलूक इस दर्शन का नाम ‘वैशेषिक कणाद’ तथा ‘औलूक दर्शन’ भी है। प्रतिपादक ग्रन्थ :- भाषापरिच्छेद, तर्कसंग्रह एवं मुक्तावली आदि । वैशेषिक सिद्धान्त में आत्मा को अनेक माना गया है। समस्त अर्थतत्त्व को वैशेषिक छ: …

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न्याय दर्शन

इस दर्शन का मुख्य उपपाद्य विषय वस्तुतत्त्व को जानने एवं समझने की प्रक्रियाओं का विस्तृत विवेचन तथा उपपादन है। वह वस्तुतत्त्व चाहे अधिभूत (मन, बुद्धि) हो, अथवा अध्यात्म । जानने-समझने की प्रक्रिया है –प्रमाण । न्याय में विस्तार के साथ ‘प्रमाण’ का सर्वांगपूर्ण उपपादन हुआ है । न्यायदर्शन शास्त्र की रचना महामुनि गौतम ने सम्पूर्ण …

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मर्म वर्णन

पैर (सक्थि) के मर्म :- 1. क्षिप्र 2. तलहृदय 3. कूर्च 4. कूर्चशिर 5. गुल्फ 6. इन्द्रबस्ति 7. जानु 8. आणि 9. ऊर्वी 10. लोहिताक्ष 11. विटप उदर और उरः में मर्म –(26) उदर में मर्म – गुद बस्ति नाभि उरः में मर्म – हृदय दो स्तन मूल दो स्तनरोहित दो अपलाप और दो अपस्तम्प …

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आयुष्कामीयम् अध्याय

“दीर्घायु अथवा पूर्णायु की कामना करने वालो के लिए जो हितकर अध्याय है उसे आयुष्कामीय अध्याय कहा जाता है ।” आयुर्वेद का प्रयोजन- ** आयुः कामयमानेन धर्मार्थसुखसाधनम्। आयुर्वेदोपदेशेषु विधेयः परमादरः।। धर्म, अर्थ, सुख नामक इन तीन पुरुषार्थों का साधन (प्राप्ति का उपाय) आयु है, अतः आयु ( सुखायु ) की कामना करने वाले पुरुष को …

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Anatomy important quiz

1. आचार्य चरक तथा सुश्रुतानुसार गर्भ की परिभाषा लिखिए। Ans.  “शुक्र शोणितं जीव संयोगे तु खलु कुक्षिगते गर्भ संज्ञा भवति।” ( च. शा. 4/5) स्त्री के शरीर (Uterus, गर्भाशय) में पुरुष का शुक्र, स्त्री का आर्तव और जीवात्मा का मिलन होने पर उसे गर्भ कहा जाता है। “शुक्र शोणितं गर्भाशयस्थं आत्मप्रकृतिविकार सम्मूर्च्छितं गर्भ इत्युच्यते ।” …

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