दीर्घञ्जीवितीय अध्याय – विषय प्रवेश, भरद्वाज का इन्द्र के यहाँ गमन, आयुर्वेद के पठन-पाठन की परम्परा, महर्षियों के एकत्र होने का कारण, महर्षियों की गणना
मनुष्य के जीवन काल में 3 एषणाएँ (इच्छाएँ) होती हैं – प्राण-एषणा धन-एषणा परलोक-एषणा मनुष्य की आयु – सतयुग – 400 वर्ष त्रेतायुग – 300 वर्ष द्वापरयुग – 200 वर्ष कलयुग – 100 वर्ष अनुबन्ध चतुष्ट्य – अभिधय प्रयोजन सम्बन्ध अधिकारी सूत्रस्थान में चार प्रकार के सूत्रों का निर्देश किया गया है – गुरुसूत्र – …