ayurveda

दिनचर्या,ब्रह्मा मुहूर्त, दतवन का विधान, दतवन कि विधि, दतवन का निषेध

दिनचर्या  अथातो  दिनचर्याध्यायं  व्याख्यास्यामः ।    दिनचर्या  –  ‘प्रतिदिनं कर्त्तव्या चर्या दिनचर्या’  प्रतिदिन करने योग्य चर्या  दिनचर्या है । ब्राह्ममुहूर्त  में जागरण ब्राह्मेमुहूर्त   उत्तिष्ठेत्   स्वस्थो  रक्षार्थमायुषः। स्वस्थ (निरोग) मनुष्य आयु (जीवन) की रक्षा के लिए ब्राह्ममुहूर्त में उठे। चार घड़ी रात्रि शेष रहने (प्रात:काल 4-6 बजे) का नाम ‘ब्राह्ममुहूर्त’ होता है । दन्तधावन शरीरचिन्तां निर्वर्त्य कृतशौचविधिस्ततः ॥१॥ […]

दिनचर्या,ब्रह्मा मुहूर्त, दतवन का विधान, दतवन कि विधि, दतवन का निषेध Read More »

आयुर्वेद का प्रयोजन, आयुर्वेदावतरण, अष्टांगहृदय का स्वरुप, आयुर्वेद के आठ अंग

मंगलाचरण :- रागादिरोगान् सततानुषक्तानशेषकायप्रसृतानशेषान् ।औत्सुक्यमोहरतिदाञ्जघान योऽपूर्ववैद्याय नमोऽस्तु तस्मै ।। राग-द्वेष आदि रोगों को, जो नित्य मानव के साथ सम्बद्ध रहते है एवं सम्पूर्ण शरीर में फैले रहते हो, अविचार युक्त कार्य प्रवृत्ति, असन्तोष को उत्पन्न करते हैं, उन सबको जिसने नष्ट किया है, उस आचार्य रूप अर्थात् अद्भुत रूप वैद्य को नमस्कार है। अथात आयुष्कामीयमध्यायं

आयुर्वेद का प्रयोजन, आयुर्वेदावतरण, अष्टांगहृदय का स्वरुप, आयुर्वेद के आठ अंग Read More »

ज्वर के लक्षण (Symptoms of Fever)

ज्वर के लक्षण (Symptoms of Fever)   ज्वर प्रत्यात्मिकं लिङ्गं संतापो देहमानस:।। (च.चि. ३/३१) आचार्य चरक मतानुसार शरीर तथा मन में संताप होना ही ज्वर का आत्मलक्षण है। (fever) सामान्यतो विशेषात्तु जृम्भाऽत्यर्थ समीरणात्। पित्तात्रयनोर्दाह: कफादनारूचिर्भवेत्।। रूपैरन्यराभ्यां तु संसृष्टैर्द्वन्द्वजं विदुः। सर्वलिङ्गसमवाय: सर्वदोष प्रकोपजे।।                  (सु.उ. ३९/२७-२८)           

ज्वर के लक्षण (Symptoms of Fever) Read More »

तृष्णा रोग ( Polydypsia )

तृष्णा रोगगत तथा पित्त दोष की दुष्टिजनित मानी गई है क्योकि वात का शोषण गुण तथा पित्त का अग्निप्रधान गुण होने से ये दोष तृष्णा की उत्पत्ति में सहायक है। कुछ व्याधियों में तृष्णा लक्षण या उपद्रव के रूप में प्रकट होती है तथा रसजज्वर, रक्तज ज्वर, मान्सज ज्वर मेदज ज्वर, पित्तोदर, प्लीहोदर, बद्धोदर, जलोदर,

तृष्णा रोग ( Polydypsia ) Read More »