bams notes

दीर्घञ्जीवितीय अध्याय – विषय प्रवेश, भरद्वाज का इन्द्र के यहाँ गमन, आयुर्वेद के पठन-पाठन की परम्परा, महर्षियों के एकत्र होने का कारण, महर्षियों की गणना

मनुष्य के जीवन काल में 3 एषणाएँ (इच्छाएँ) होती हैं – प्राण-एषणा धन-एषणा परलोक-एषणा मनुष्य की आयु – सतयुग – 400 वर्ष त्रेतायुग – 300 वर्ष द्वापरयुग – 200 वर्ष कलयुग – 100 वर्ष अनुबन्ध चतुष्ट्य – अभिधय प्रयोजन सम्बन्ध अधिकारी सूत्रस्थान में चार प्रकार के सूत्रों का निर्देश किया गया है – गुरुसूत्र – …

दीर्घञ्जीवितीय अध्याय – विषय प्रवेश, भरद्वाज का इन्द्र के यहाँ गमन, आयुर्वेद के पठन-पाठन की परम्परा, महर्षियों के एकत्र होने का कारण, महर्षियों की गणना Read More »

शरद ऋतुचर्या, आहार विधि, हंसोदक सेवन निर्देश,विहार-विधि, अपथ्य निषेध, संक्षिप्त ऋतु चर्या, रस सेवन निर्देश, ऋतु सन्धि मे कर्तव्य

शरद ऋतुचर्या वर्षांशीतोचिताङ्गानां सहसैवार्करश्मिभिः । तप्तानां सञ्चितं वृष्टौ पित्तं शरदि कुप्यति ॥49॥ तज्जयाय घृतं तिक्तं विरेको रक्तमोक्षणम् । वर्षा एवं शीत का अनुभव करने वाले अङ्गों में सहसा ही सूर्य की किरणों से तपने पर जो पित्त वर्षा एवं शीत से संचित था, वह अब कुपित हो जाता है। इस ऋतु में तिक्त द्रव्यों से …

शरद ऋतुचर्या, आहार विधि, हंसोदक सेवन निर्देश,विहार-विधि, अपथ्य निषेध, संक्षिप्त ऋतु चर्या, रस सेवन निर्देश, ऋतु सन्धि मे कर्तव्य Read More »

वर्षा ऋतुचर्या, शरीर शुद्धि , सेवनीय विहार, त्याज्य विहार

वर्षा ऋतुचर्या आदानग्लानवपुषामग्निः सन्नोऽपि सीदति । वर्षासु दोषैर्दुष्यन्ति तेऽम्बुलम्बाम्बुदेऽम्बरे ॥42॥ सतुषारेण मरुता सहसा शीतलेन च । भूबाष्पेणाम्लपाकेन मलिनेन च वारिणा ॥43॥ वह्निनैव च मन्देन, तेष्वित्यन्योऽन्यदूषिषु । भजेत्साधारणं सर्वमूष्मणस्तेजनं च यत् ॥44॥ आदान काल (शिशिर, वसन्त, ग्रीष्म) के प्रभाव से शरीर दुर्बल एवं जठराग्नि मन्द होती है। वर्षा ऋतु में वातादि दोषों के प्रभाव से जठराग्नि …

वर्षा ऋतुचर्या, शरीर शुद्धि , सेवनीय विहार, त्याज्य विहार Read More »

शिशिर ऋतु काल, वसन्त ऋतु काल, मध्याह्नचर्या,वसन्त ऋतु में अपथ्य

शिशिर ऋतुचर्या अयमेव विधिः कार्यः शिशिरेऽपि विशेषतः । तदा हि शीतमधिकं रौक्ष्यं चादानकालजम् ॥17॥ शिशिर ऋतु में भी हेमन्त ऋतु में कही गयी विधियों का विशेष सेवन करना चाहिए। क्योंकि इस ऋतु में शीत अधिक पड़ने लगती है तथा आदानकाल प्रारम्भ हो जाता है, अतः इसमें रूक्षता आने लगती है। वसन्त ऋतुचर्या कफश्चितो हि शिशिरे …

शिशिर ऋतु काल, वसन्त ऋतु काल, मध्याह्नचर्या,वसन्त ऋतु में अपथ्य Read More »

हेमन्त ऋतुचर्या, प्रातः काल के कर्तव्य, स्नान आदि की विधि, शीत नाशक उपाय, निवास विधि

हेमन्त ऋतुचर्या बलिनः शीतसंरोधाद्धेमन्ते प्रबलोऽनलः ॥7॥ भवत्यल्पेन्धनो धातून् स पचेद्वायुनेरितः ।अतो हिमेऽस्मिन्सेवेत स्वाद्वम्ललवणान्रसान् ।।8।। हेमन्त ऋतु में काल स्वभाव से पुरुष बलवान् होता है क्योंकि शीत के कारण अवरुद्ध होने से (रोमकूपों के शीत से अवरूद्ध होने के कारण) शरीर की ऊष्मा जाठराग्नि को प्रबल कर देती है। इसलिए आहाररूपी इंधन के न मिलने पर वह …

हेमन्त ऋतुचर्या, प्रातः काल के कर्तव्य, स्नान आदि की विधि, शीत नाशक उपाय, निवास विधि Read More »

छः ऋतुएँ, उतरायण – आदान काल (अग्रिगुण प्रधान), आदान काल, विसर्ग काल-परिचय, बल का चयापचय

छः ऋतुएँ मासैर्द्विसङ्ख्यैर्माघाद्यैः क्रमात् षडृतवः स्मृताः । शिशिरोऽथ वसन्तश्च ग्रीष्मो वर्षाः शरद्धिमाः ।।1।।          माघ-फाल्गुन आदि दो-दो महीनों से क्रमशः छः ऋतुएँ होती है। माघ-फाल्गुन : शिशिर ऋतु चैत्र-वैशाख : वसन्त ऋतु ज्येष्ठ-आषाढ़ : ग्रीष्म ऋतु श्रावण-भाद्रपद : वर्षा ऋतु आश्विन-कार्तिक : शरद ऋतु एवं मार्गशीर्ष-पौष : हेमन्त ऋतु । आदान काल – उतरायण  शिशिराद्यास्त्रिभिस्तैस्तु विद्यादयनमुत्तरम् ।  आदानं  च तदादत्ते …

छः ऋतुएँ, उतरायण – आदान काल (अग्रिगुण प्रधान), आदान काल, विसर्ग काल-परिचय, बल का चयापचय Read More »

Important questions for shalya tantra (paper -1)

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न (२० शब्द) सुश्रुत संहिता पर लिखी हुई किन्हीं दो टीका के नाम लिखें। शल्य चिकित्सक के गुण लिखें। शस्त्रों की संख्या बताते हुए उनके नाम लिखें। शस्त्रकोष का वर्णन करें। Write the stages of depth of anesthesia. What is saddle block. स्नायु मर्म की संख्या बताते हुए उनके नाम लिखें। क्षार के …

Important questions for shalya tantra (paper -1) Read More »

ज्वर रोग (Fever)

आयुर्वेद के आचार्यों ने ज्वर को सबसे महत्त्वपूर्ण तथा प्रधान व्याधि माना है। ज्वर के प्रधान होने का एक मुख्य कारण यह भी है कि सभी प्राणियों में ज्वर जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त तक कभी न कभी अवश्य उत्पन्न होता है। यह एक स्वतन्त्र व्याधि है तथा कई व्याधियों के लक्षण के रूप में भी …

ज्वर रोग (Fever) Read More »

Padarth Vigyan – Darshan – Introduction

                                1. दार्शनिक पृष्ठभूमि This post contains the brief description about the first chapter of Padarth vigyan that is Darshan. Darashan are of two type :- Astika Darshan Further divided into six types :- वेदान्त दर्शन सांख्य दर्शन वैशेषिक दर्शन …

Padarth Vigyan – Darshan – Introduction Read More »