प्राथमिक स्वास्थ्य संरक्षण

 प्राथमिक स्वास्थ्य संरक्षण (Primary Health Care)   परिभाषा और सिद्धांत : – प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के रूप में परिभाषित किया गया है: – “व्यावहारिक, वैज्ञानिक और सामाजिक रूप से स्वीकार्य विधियों और प्रौद्योगिकी के आधार पर आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल जो समुदाय में व्यक्तियों और परिवारों के लिए उनकी पूर्ण भागीदारी के माध्यम से, देश और […]

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Primary Health Care

(Primary Health Care) प्राथमिक स्वास्थ्य संरक्षण    Definition and Principles (परिभाषा एवं सिद्धान्त) :- Primary health care is defined as :- “Essential health care based on practical, scientifically sound and socially acceptable methods and technology made universally assessible to individuals and families in the community through their full participation and at a cost that the

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शालाक्य तंत्र निरुक्ति, परिचय, इतिहास

शालाक्य तंत्र की निरुक्ति :- शलाकया यत्कर्म क्रियते तच्छालाक्यम, शलाकाप्रधानं कर्मशालाक्यम्, तत्प्रधान तन्त्रमपि शालाक्यम्। (डल्हण) शलाका द्वारा कर्म किये जाने के कारण इसे शालाक्य कहते हैं। शलाका प्रधान कर्म को शालाक्य कहते हैं, इसका प्रमुख तंत्र शालाक्य तंत्र कहलाता है। दृष्टि विशारदाः शालाकिनः। (डल्हण) नेत्र विद्या के चिकित्सकों को शलाकिन कहते हैं। शालाक्य तंत्र का

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औषध एवं भैषज (भैषज्य) में अन्तर

औषध एवं भैषज (भैषज्य) में अन्तर

औषध एवं भैषज (भैषज्य) में अन्तर : औषध एवं भैषज्य दोनों का प्रयोजन रोग को दूर करना है। आचार्य चरक ने भेषज एवं औषध को पर्याय माना है। चिकित्सितं व्याधिहरं पथ्यं साधनमौषधम् । प्रायश्चितं प्रशमनं प्रकृतिस्थापनं हितम् ।। विद्यात् भेषजनामानि…  ।    (च.चि.1/1/3) 1. चिकित्सित 2. व्याधिहर 3. पथ्य 4. साधन 5. औषध 6. प्रायश्चित

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औषध और भैषज मे क्या अन्तर है

भैषज्य कल्पना का इतिहास (History of bhaishajya kalpana)

1. भैषज्य कल्पना का ऐतिहासिक विवेचन कीजिए। Ans. भैषज्य कल्पना के इतिहास को विवेचन की सुगमता के दृष्टिकोण से निम्न कालों में विभक्त किया जा सकता है – 1. वैदिक काल 2. संहिता काल 3. मध्य काल या रसशास्त्रीय काल 4. आधुनिक काल । 1. वैदिक काल:- ऋग्वेद :- ऋग्वेद के औषधि सूक्त तथा अन्य वेदों

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Introduction to Shalya Tantra (शल्यतन्त्र परिचय)

1. शल्य की परिभाषा :- अतिप्रवृद्धं मलदोषजं वा शरीरिणां स्थावरजङ्गमानाम्। यत्किञ्चिदाबाधकरं शरीरे तत्सर्वमेव प्रवदन्ति शल्यम्।                                                                                  

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आयुष्कामीयम् अध्याय

“दीर्घायु अथवा पूर्णायु की कामना करने वालो के लिए जो हितकर अध्याय है उसे आयुष्कामीय अध्याय कहा जाता है ।” आयुर्वेद का प्रयोजन- ** आयुः कामयमानेन धर्मार्थसुखसाधनम्। आयुर्वेदोपदेशेषु विधेयः परमादरः।। धर्म, अर्थ, सुख नामक इन तीन पुरुषार्थों का साधन (प्राप्ति का उपाय) आयु है, अतः आयु ( सुखायु ) की कामना करने वाले पुरुष को

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पंचकर्म परिचय

1. पंचकर्म की परिभाषा लिखिए।  Ans. शोधन की वह विधि जिसके द्वारा शरीर के वृद्ध दोषों या उत्क्लिष्ट कराकर दोषों को प्रायः कोष्ठ में लाकर उनके निकटतम प्राकृत मार्ग से बाहर निकाल कर त्रिदोष साम्य स्थापित कर अपुनर्भव को प्राप्त करते है, उसे पंचकर्म कहते हैं। अपुनर्भव = पुनः जन्म न लेना पांच कर्म = वमन, विरेचन,

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Anatomy important quiz

1. आचार्य चरक तथा सुश्रुतानुसार गर्भ की परिभाषा लिखिए। Ans.  “शुक्र शोणितं जीव संयोगे तु खलु कुक्षिगते गर्भ संज्ञा भवति।” ( च. शा. 4/5) स्त्री के शरीर (Uterus, गर्भाशय) में पुरुष का शुक्र, स्त्री का आर्तव और जीवात्मा का मिलन होने पर उसे गर्भ कहा जाता है। “शुक्र शोणितं गर्भाशयस्थं आत्मप्रकृतिविकार सम्मूर्च्छितं गर्भ इत्युच्यते ।”

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हिक्का रोग (Hikka)

‘हिक् इति कृत्वा शब्दायते इति हिक्का’ Repeated involuntary contractions of diaphragm is hiccough. Most common cause is psychogenic (Neurosis, hysteria, sudden laughter, swallowing cold drinks, hot drinks, cold shower) अधिक तीक्ष्ण व उष्ण पदार्थों के सेवन से gastric mucosa में irritation होती है । जिसके कारण Phrenic nerve stimulate होती है और हिक्का रोग होता

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